भारतवर्ष में श्री सम्मेद शिखर जी सिद्धक्षेत्र के वाद द्वितीय स्थान पर सिद्धक्षेत्र सोनागिर जी का नाम लिया जाता है। इसका प्राचीन नाम श्रमणगिरि या स्वर्ण गिरि रहा है। यहाँ आठवें तीर्थकर भगवान श्री चन्द्रप्रभ का 17 वार समोशरण ('भवि भागन वसि जोगे वसाय') आया है, ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है। निर्वाण काण्ड के अनुसार इस पर्वत से श्री नंग, अनंग, चिन्तागति, पूर्णचन्द्र, अशोकसेन, श्री दत्त, स्वर्ण भदादि साढ़े पाँच करोड़ दिगम्बर मुनियों ने आत्म साधना कर निर्वाण प्राप्त किया है। मुनि श्री शुभचन्द्र स्वामी ने यहाँ 'ज्ञानार्णव' शास्त्र की रचना की है। जो ध्यान का उत्कृष्ट ग्रन्थ है। निरन्तर यहाँ से आत्म साधना करते हुऐ श्रावक व्रत, मुनिव्रत अंगीकार करते हुऐ मोक्षमार्ग को साधने का मार्ग जीव पा रहे हैं, और पाते रहेंगे।
Learn Moreतीनों अष्टानिका एवं दशलक्षण पर्व पर नियमित विधान होते हैं। इसके अतिरिक्त वर्ष में अनेक विधान व कार्यक्रम आयोजित होते रहते है। आप सादर आमंत्रित हैं।
सिद्धक्षेत्र की यात्रा सपरिवार एवं ग्रुप सहित अवश्य करने हेतु पधारें। आपकी सम्पूर्ण व्यवस्था हेतु ट्रस्ट मण्डल तत्पर है।
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित सोनागिर तीर्थराज पर्वत पर सुगम, सुन्दर, दर्शनीय, नयानाभिराम, गगनचुम्बी शिखर बद्ध 77 विशाल मन्दिरों की उतार-चढ़ाव लिये श्रृंखलाओं से एक कड़ी में क्रम वद्ध नम्बरों से जुड़ा हुआ है। पर्वत पर मन्दिर नं. 57 में तेरवीं सदी की प्राचीन भगवान चन्द्रप्रभ की 11 फुट ऊँची पर्वत पर ही उकेरी हुई खड़गासन अति मनोज्ञ अतिशय युक्त प्रतिमा संवत् 1335 में विराजमान हुई है। उसी के बगल की वेदी में भगवान शीतलनाथ व भगवान पार्श्वनाथ की 8 फुट ऊँची प्राचीन प्रतिमा विराजमान है। 132 एकड़ के क्षेत्र में स्थित दोनो पर्वत राज पूज्यनीय है। पर्वत पर समोशरण मन्दिर, बाहुवलि, नंग कुमार, अनंग कुमार मन्दिर है, यहाँ चौबीसों तीर्थकरों के अनेक मन्दिर है, वाजनी शिला, नारियल कुण्ड व अनेक क्षत्रियाँ व ध्यान की गुफायें निर्मित है। मन्दिरों का जीर्णोद्धार कार्य होने व नवीन नन्दीश्वर द्वीप मन्दिर बनने से पर्वत पर भव्यता व आकर्षणता पूज्यता के साथ बढ़ती जा रही है। पर्वत की व्यवस्था तीर्थक्षेत्र कमेटी द्वारा की जाती है। तलहटी में 31 जिन मन्दिर स्थित है। पर्वत की बन्दना 2 घन्टे में व पर्वत की परिक्रमा एक घन्टे में भाव सहित की जाती है। यात्रियों की सुविधार्थ अनेक धर्मशालायें, भोजनशालायें एवं औषधालय तलहटी में स्थित हैं।
आचार्य कुन्दकुन्द नगर तीन लाख स्कवायर फीट भूमि पर निर्मित है। कुन्द कुन्द नगर में निम्न रचनाएँ अध्यात्म प्रेमियों के लिये आत्म साधना हेतु सतत् प्रेरणास्पद है
वर्तमान चौबीसी के पाँचों निर्वाण स्थली सम्मेद शिखर, कैलाश पर्वत, गिरनार जी, चम्पापुर एवं पावापुरी
Read Moreपावापुर जिन मन्दिर में विराजमान शासन नायक तीर्थकर महावीर भगवान के सामने अति उतंग
Read Moreमानस्तम्भ के पास भव्य मनोहारी शिखरवद्ध मन्दिर में विदेही जींवत तीर्थकर
Read Moreदर्शनीय व अध्ययन करने योग्य श्रुत स्कन्ध का मार्वल पर उकेरा हुआ दृश्य है
Read Moreप्रमुख गेट के पास ही सत्साहित्य विक्रय केन्द्र की स्थापना है वहां गुरूदेव
Read Moreपाँच हजार स्क्वायर फीट के विशाल हॉल में विदेह क्षेत्र, विद्यमान बीस तीर्थकर
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Read Moreअनेक सुविधा संयुक्त श्रावक औषधालय जो मेन गेट पर ही स्थित है, सुयोग्य डॉक्टर
Read Moreदान देच मन हरष विशेषे, यह भव यश, पर भव सुख देस्खे। क्षेत्र के विकास हेतु निम्न प्रकार आपका सहयोग अपेक्षित है
स्वयंसेवकों
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सामान्य सचिव, सोनागिर जैन मंदिर ट्रस्ट
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